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रत्न किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं ?
रत्न, शरीर और पूरा ब्रह्माण्ड पंचतत्वों से बना है
रत्न ईश्वर की बहुत ही अनमोल कृति हैं। भारतीय ज्योतिष यह मानता है कि सृष्टि का उत्पादन 5 तत्वों से हुआ है, जिन्हें पंचतत्व कहते हैं। भारतीय वेदांगों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति एक ईश्वर के बहुत हो जाने की इच्छा से शुरू हुई। इसी इच्छा के वशीभूत होकर ईश्वर ने अपने स्वरूप को विस्तार देते हुए सबसे पहले महत् तत्व की उत्पत्ति की, उसके बाद क्रमशः आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन पाँच तत्वों की उत्पत्ति की । इन पाँच तत्वों के ही विभिन्न अनुपात में मेल से शेष पूरी सृष्टि की उत्पत्ति हुई है।
इन्हीं 5 तत्वों से समस्त निर्जीव और सजीव सृष्टि की उत्पत्ति हुई है। अर्थात् जिन तत्वों से ब्रह्माण्ड बना है, उन्हीं तत्वों से मनुष्य शरीर भी बना है। ग्रह, नक्षत्र, रत्न, मानव शरीर और हमारे चारों ओर का पूरा परिदृश्य इन्हीं 5 तत्वों के सम्मिश्रण से बना है। इसलिए सृष्टि की समस्त कृतियाँ एक दूसरे से पूर्णतया प्रभावित होती हैं। यह ज्ञान भारत के मनीषियों ने हजारों साल पहले ही बता दिया था। इन्हीं सिद्धान्तों को विज्ञान अपने प्रमाणों से पोषित करता आ रहा है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर रत्न के तत्वों का अपना विशिष्ट संघठन है। पंचतत्वों में से तर तम भेद से जिन तत्वों की अधिकता से वह बना होता है, उसी के अनुसार वह मानव के शरीर में स्थित उन तत्वों को भी प्रभावित करता है। मानव शरीर में जिस तत्व से संबंधित ऊर्जा की कमी होती है, विशिष्ट रत्न उस कमी को पूरा करने के लिए चिकित्सा के तौर पर काम में लिया जाता है।